आज के कोर्स से आपकी जिज्ञासाये समाधान ब्रह्माकुमारीज के 4

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आज के कोर्स से आपकी जिज्ञासाये समाधान ब्रह्माकुमारीज के

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जिज्ञासा13:-

शास्त्रवादी लोग कल्प की आयु चार अरब वर्ष से भी अधिक और कलियुग की आयु अभी 4 लाख से कुछ अधिक बता रहे ?

समाधानः-

यदि कल्प की आयु अरबों वर्ष होती तब तो परमपिता परमात्मा सृष्टि के आदि, मध्य अन्त के इतिहास का भी ज्ञान नहीं दे सकते थे।जन्म-जन्म- मरण के चक्कर में दुःख भोगते - भोगते मनुष्यात्मा का तो क्या बुरा हाल हो जाता। यह विचार करने योग्य बात है कि 2,000 वर्षों में ही ईसाई धर्म के लोगों की संख्या दो अरब के लगभग हो गई है। यदि कल्प की आयु अरबों वर्ष होती तो पहले धर्म आदि सनातन देवी देवता धर्म वालों की संख्या तो आज अनगिनत होती।पर ऐसा नहीं है।

शास्त्रवादियों और संन्यासियो ने कल्प की आयु के बारे में मिथ्या मत संसार में फैलाया है। इधर सृष्टि के महाविनाश के लिए एटम बम और हायड्रोजन और प्रकृति विकराल रूप धारण करने जा रही।उधर लोगों ने मनुष्यों को यह उल्टा मत देकर सुला दिया है कि "कलियुग तो अभी बच्चा है" इसके तो लगभग 4,27,000 वर्ष शेष हैं। अभी कुछ समय पहले सबसे लोकप्रिय संन्यासी के फेसबुक पेज पर सृष्टि को इतने अरब वर्ष पुरानी होने की विधिवत घोषणा और हजारों लोगों द्वारा समर्थित टिप्पणी देखी, जो शास्त्रमत का ही एक नमूना था।

कुछ भी हो कल्प की आयु का रहस्य तो उस स्थापना,विनाश और पालना का कर्तव्य को कराने वाले परमात्मा ही बता सकते हैं।कोई ज्ञानी या संन्यासी इसका तो सत्य ज्ञान दे नहीं सकते।आप विवेक का प्रयोग करेंगे तो देखेंगे कि 5,000 वर्ष पहले महाभारत काल में जैसे मूसल और ब्रहमास्त्र बने थे, अब फिर हूबहू बन रहे हैं और परमात्मा अवतरित होकर फिर से गीता ज्ञान दे रहे हैं।

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जिज्ञासा 14:-

संन्यासी व अन्य लोग भी कहते हैं कि यह संसार बना ही नहीं, यह संसार मिथ्या है,यह स्वप्न-मात्र है ?

समाधान:-

परन्तु परमपिता परमात्मा ने कहा है कि यह सृष्टि मिथ्या नहीं है, बल्कि सत्य है।इसका तो एक नियमित इतिहास और भूगोल है।उन्होंने हमें इस रचना के तीनों कालों के मुख्य मुख्य वृत्तान्त समझाये है,जिन्हें जानना आवश्यक है।भगवान ने इसके इतिहास को एक उल्टे वृक्ष से उपमा दी है, जिसे "मनुष्य सम्प्रदाय का वृक्ष" या कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। इस कल्पवृक्ष के रहस्य को समझ लेने पर सृष्टि सम्बन्धी यह आरोप गलत लगते हैं।

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जिज्ञासा न:15-

हमने बहुत सी आत्माओं के सम्बन्ध में सुनते आये कि उन्हें जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिली।क्या वास्तव में आत्मा को मोक्ष, निर्वाण या मुक्ति मिलती है ?

समाधान:-

यदि मुक्ति के बाद आत्माएँ इसी तरह ब्रह्मलोक में सदा के लिए ही रहे, तो एक दिन सृष्टि का खेल ही खत्म हो जाएगा।क्योंकि कोई नई आत्मा तो बनती नहीं है।हार-जीत की तरह आत्मा बन्धन में आयेगी, फिर शरीर त्यागने अर्थात मुक्त होने के बाद फिर बन्धन में आयेगी।पूरी तरह से तो कोई भी मुक्त नहीं है, यहां तक कि परमात्मा को हर 5,000 वर्ष में आना पडता है। इसी तरह ईसामसीह आदि महान आत्माएँ भी पुनर्जन्म में हैं।

जिस प्रकार बच्चा खेल में थककर और हारकर कुछ उदास हो जाता है और सो जाता है, परन्तु सदा सोया भी नहीं रहना चाहता बल्कि फिर उठकर खेल करना चाहता है।ठीक उसी प्रकार आत्मा भी इस सृष्टि रूपी नाटक में माया से हारकर तथा अनेक जन्म कर्म करते- करते जब दुःखी होती है और बन्धन अनुभव करती है, तब मुक्ति की इच्छा करती है, फिर एक समय आने पर वह पुनः इस संसार में आकर खेल खेलना चाहती है।

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जिज्ञासा 16:-

सृष्टि चक्र के सम्बन्ध में अनेक भविष्यवाणिया आई, इसके रहस्य को हम विस्तार से जानना चाहेंगे ?

समाधान:-

"सृष्टि चक्र का रहस्य" ~~जिज्ञासा और उनका समाधान~~हम इसके बारे में आप सबको विस्तार से समझाते हैं।

वर्तमान समय की पुकार क्या है, समय हम से क्या चाहता है, क्योंकि समय के सम्बन्ध में कई भविष्यवाणी सुनते आ रहे हैं,माया कॅलेंडर में 2012 में महाप्रलय कि स्थिति आयेगी, कोई कहता आया है 2004 में और 2005 में ऐसा होगा,कोई कहता है प्रकृति की प्रलय आयेगी।कई बातें आती हैं नास्त्रेदम ने यह कहा है, तो दूसरे ने यह कहा है,तीसरे ने यह कहा है।हम यह गीत भी सुनते रहे कयामत आने वाली है, गुनाहों से......।

परन्तु इन सबसे हटकर जो कालचक्र का रहस्य परमात्मा ने बताया है, वही सटीक है, पूर्णतः सत्य है,उन्होंने यही कहा हुआ है।प्रलय तो होने वाली नहीं।परिवर्तन तो निश्चित है, क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है, यह परिवर्तन समय का है, इसलिए इसको कहा गया "कालचक्र"।चक्र अर्थात जो निरन्तर चलता रहता है।जिस तरह ऋतुओं का काल चक्र होता है।दिन और रात का चक्र ही ले लो, चार अवस्थाएं होती है -सुबह, दोपहर, शाम, रात्रि।मनुष्य के जीवन की चार अवस्थाये बचपन, युवा, गृहस्थ, बुढापा।इसी प्रकार कालचक्र में चार अवस्थाएं- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर, कलियुग, कलियुग के बाद फिर क्या आयेगा, सीधी सी बात सतयुग।अगर हम यह समझे कि इतने पापाचारी युग के बाद एकाएक सतयुग में कैसे बदल जायेगा, इसके लिए तो प्रलय होनी चाहिए, पर ऐसा नहीं है, जरा सोचिये एकदम प्रलय हो जाये तो उत्पति कहा से होगी और कैसे होगी ?इसलिए यह एक महान युग परिवर्तन का युग है,जो घोर कलियुग रात्रि को सुनहली सुबह मे परिवर्तित कर देगा।

जिस प्रकार एक वर्ष में बारह महीने, एक दिन में चौबीस घंटे होते है ऐसे ही दूसरे उदाहरण भी दिये जा सकते हैं उसी तरह कालचक्र की भी एक अवधि है।यह सृष्टि चक्र 5000 वर्ष का है।जिसमें प्रत्येक युग 1250 वर्ष का है।चारों युगों को पूरा करने में पांच हजार साल लगते हैं।यह बात सुनते ही हमारे मन में कई सवाल उठते हैं।कहां किस ग्रंथ में, किसने ऐसा कहा है, यद्यपि प्रियहूसोवर' जी की भविष्यवाणी कुछ इशारा करती है।पर बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है।जिस तरह चौबीस घंटे को हमने स्वीकार कर लिया, जिस तरह एक दिन में चौबीस घंटे, एक वर्ष मे 365 दिन इसी तरह और भी बातें स्वीकार्य करते आये।तो 5000 वर्ष में सवाल क्यों ? नहीं मानोगे तो दुःखी कौन होगा, न मानने वाला।5000 वर्ष का चक्र अनगिनत बार इसी तरह घूमा है।अगर आर्कालाजी दिखाती है धरती के अन्दर कई पत्थर करोड़ों साल पहले वाले मिले हैं, तो मिले होंगे, क्योंकि सृष्टि चक्र तो करोड़ों साल से चलती आयी है।दिन और रात का यह 24 घंटे का चक्र कितनी बार घूम गया, कितने साल बीते,फिर भी हम यह मानते हैं कि जनवरी आयेगी।हमारे ग्रन्थों मे लिखा है कि जब घर-घर में महाभारत होगा तो समझना महाभारत आ गया। यदा-यदा हि धर्मस्य....... कहा है तो धर्म की ग्लानि का समय है कि नहीं। 5000 वर्ष पहले वाला महाभारत फिर से आ गया।जो लोग अभी द्वापर से मानते है, उसका जवाब यह है कि गीता में भगवान ने कहा है कि "अधर्म का विनाश और सतधर्म की स्थापना करता हूँ।तो क्या द्वापर के बाद घोर अधर्म की स्थापना हुई? नहीं।कलियुग के अन्त में अधर्म का विनाश होगा तो सतधर्म आ सकता है।

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ॐ शांति

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