कुछ जीवनोपयोगी समाधान भाग ➡ 01
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राजयोग मेडिटेशन कोर्स :: कुछ जीवनोपयोगी समाधान
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भाग ➡ 01
हमने आनलाइन के इस सात दिवसीय कोर्स में जाना कि आज परमात्मा अपनी पहचान स्वयं ही दे रहे हैं ।उनका किसी धर्म , जाति , सम्प्रदाय , भाषा के प्रति झुकाव नहीं बल्कि वे तो सभी को अपना बच्चा समझते हैं ।सभी उसको प्यारे लगते हैं । इस धरा पर पधारकर उसने अपना प्रेम हम बच्चों पर बरसा दिया है ।आज समय की भी यही पुकार है कि अब हमें सब कुछ भूल उसके ही प्यार में डूब जाना चाहिए ।भगवान ने हमें पहली फीलिंग ही यह कराई है कि मैं तुम्हारा हूँ ।अब हमें इसी स्मृति में रहना चाहिए कि हमने अपनी अंतिम मंजिल को प्राप्त कर लिया है ।
धर्मग्रंथों में जो बातें लिखी हुई हैं वह सत्य तो हैं परन्तु मन के निर्बल होने के कारण हम उन्हें धारण नहीं कर पाते ।मन की शक्ति हमें परमात्मा के द्वारा ही प्राप्त हो सकती है।परमात्मा से मिलन मनाने का आधार है मन की पवित्रता।हमारे मन में किसी भी प्रकार के संशय के संकल्प न हों। हम अनुशासित प्रणाली से जीवन जीयें , दिव्य गुणों की धारणा करें , व्यर्थ न सोचें , संगदोष से बचें , रोज़ ईश्वरीय महावाक्य सुन। आपने आनलाइन रहकर परमात्मा द्वारा उद्घाटित ज्ञान और राजयोग की जो शिक्षा पाई, हम उसी आधार पर कुछ जीवनोपयोगी जानकारी दे रहे. ...................
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1"बातें बड़ी नहीं होती तुम उन्हें सोच - सोच कर बड़ा बना देते हो"
यह स्वयं भगवान के महावाक्य हैं।जब भी कोई बात आये तो ये न सोचें कि यह क्यों आ गयी ,घबराएं नहीं । याद रखें घबराने से विघ्न बुरे तरीके से आपका पीछा करने लगेंगे।अपने को हल्का रखें । ऐसी सोच बना लें कि इन मुसीबतों से, इन विघ्नों से आपकी शक्तियों का विकास हो रहा है । अगर विघ्न अधिक आ रहे हों तो अभ्यास करें , मैं आत्मा विघ्न विनाशक हूँ ।
यदि आप में किसी भी चीज़ का भय हो तो उसे निकलने पर अवश्य ध्यान दें । क्योंकि वह भय आपके sub conscious mind में समाया हुआ है तो उसे निकालने के लिए सवेरे उठते ही संकल्प करें - मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ , निर्भय हूँ । अपने अंदर ज्ञान का बहुत अच्छा बल भर लें , जैसे मैं तो आत्मा हूँ , अमर हूँ । मैं क्यों मृत्यु से डरूं , मृत्यु तो जैसे इस शरीर रुपी वस्त्र बदलने का नाम है ।
अपनी बुद्धि को तीव्र बनाने के लिए सबसे पहले मन को शांत करने का अभ्यास करें क्योंकि उसे शांत करने से बुद्धि का विकास बहुत तेज़ी से होता है । स्वमान - क्योंकि मैं भगवान की संतान हूँ ,मैं एक महान आत्मा हूँ । इसी रीति से मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ । मैं आत्मा विजयी रत्न हूँ , विश्वकल्याणकारी हूँ । मैं एक पवित्र और महान आत्मा हूँ , शिवबाबा पवित्रता के सागर हैं ,उनसे मुझे पवित्र किरणें आ रही हैं । इसी के लिए आधा घंटा रोज़ योगाभ्यास भी करें । इस बात को भी जान लें कि एकाग्रता द्वारा हम नई - नई योग्यताओं का स्वयं में आह्व।न कर सकते हैं ।
अगर आपकी पवित्रता , प्रभु प्राप्ति के मार्ग पर आपके घर वाले विघ्न डाल रहे हों तो दृढता पूर्वक उनका सामना करें । आपके दृढ रहने से वे भी आपका साथ अवश्य देने लगेंगे , याद रखें संगमयुग का यह सुहावना समय फिर दोबारा नहीं आयगा जब स्वयं परमात्मा अवतरित होकर गीता ज्ञान सुना रहे हैं । आप घर में बहुत अच्छी vibrations फैलाएं , सुबह पांच बजे जब वे सो रहे हों तो उनसे मन ही मन बात करें , उन्हें समझाएं। उन्हें पवित्र भोजन बनाकर के खिलायें ।
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2"अवचेतन मन Subconscious Mind की शक्तियों का प्रयोग"
Subconscious Mind मन का एक बहुत ही पावरफुल हिस्सा है। यह सुशुप्त अवस्था में रहता है परन्तु सोते समय highly active स्थिति में आ जाता है। जो संकल्प हम सवेरे उठते ही रचते हैं वह subconscious mind में गहराई से छप जाते हैं और वह हमारे जीवन को deeply affect करते हैं। Subconscious Mind की programming कुछ विशेष संकल्पों द्वारा करनी चाहिए । उदहारण –
1. आप छात्र हैं और किसी विषय में कमज़ोर हैं तो सवेरे उठते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा बुद्धिमान हूँ , इस विषय में बड़ी होशियार हूँ ।संकल्पों को बिल्कुल egoless होकर करें।आपकी लिखने की गति यदि कम है तो संकल्प करें कि मैं आत्मा मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी हूँ , मेरी लिखने की गति बहुत तेज़ है । बुद्धि में सभी शक्तियाँ मौजूद हैं परंतु activated नहीं हैं , subconscious mind बुद्धि की शक्तियों को activate कर देता है ।
2. यदि किसी बिमारी से परेशान हैं तो subconscious mind को इस प्रकार से program करें – रात को सोने से पहले इसी संकल्प को अपना आखरी थॉट बना लें कि मैं आत्मा बिल्कुल ठीक हूँ , healthy हूँ । subconcious mind की high healing power रात को activate हो बिमारी को ठीक करने लग जाएगी ।
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3. खुशी के वाइब्रेशनस से अनेक बीमारियों ठीक
किसी भी छोटी-बढी बीमारी का असर हमारे काम–काज पर, दिनचर्या पर सीधा पड़ता है और जीवन में संघर्ष की स्थिति बन जाती है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को चाहिए कि अगर वो बीमार हो जाए तो सबसे पहले अपने चित्त को शांत रखे ।उस बीमारी को स्वीकार कर ले।आशावादी होकर रहे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, अपने सद्विवेक को जागृत करे।अपने स्वभाव को निर्मल और मधुर बनाए ।धैर्यता से अपने कर्मभोग को चुक्तु करे। संकल्प करे कि मैं तो आत्मा हूँ , बीमार तो यह शरीर है , मैं तो एवर healthy हूँ ।जो व्यक्ति bodyless रहने की practice करता है उसे बीमारियों का असर ही नहीं होता है। उसका मन बीमारी में भी शांत रहता है ।
अगर आप एकाग्रता और visualization का अभ्यास नहीं भी कर पा रहे हों तो कुछ अच्छे संकल्पों का अभ्यास कर सकते हैं जैसेकि मैं peaceful आत्मा हूँ । इस देह से अलग हूँ। अगर संभव हो तो सवेरे उठकर राजयोग का अभ्यास अवश्य करें।
बीमार व्यक्ति के सगे-सम्बन्धी भी स्वयं को सरलचित्त बनाएँ।परमपिता को अपना साथी बनाएँ , उनकी मदद लें , योगयुक्त रह करके उनका आह्वान करें। patient आत्मा को अच्छे बोल बोलें , उसका मनोबल बढाएं।
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4. श्रेष्ठ मनोस्थिति से बदलें परिस्थिति
मनोस्थिति बिगड़ने का कारण है टेंशन करना , ज्यादा सोचना इसलिए अपने मन को किसी बात में उलझने न दें सीधा ध्यान ऊपर ले जाएँ , साक्षीभाव में स्थित हो जाएँ।कोई आलोचना करे ईर्ष्या करे , टाँगे खींचे तो उसकी बात को आगे बढने का साधन बना लें ,यह सोचें की अगर आगे बढना है तो सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए।इस बात को ध्यान में रखें की मनोस्थिति बिगड़ने से विवेक शक्ति नष्ट हो जाती है।
भगवानुवाच – अगर हमारी मनोस्थिति श्रेष्ठ होगी तो परिस्थिति अपने आप बदल जाएगी।मनोस्थिति श्रेष्ठ बनाने के सहज उपाय :- सवेरे उठकर शांत मन से अच्छा चिन्तन करें , अच्छे वातावरण में जाएँ। भगवानुवाच- रोज़ सवेरे मैं तुम्हें समस्या का हल देता हूँ ।उठते ही शिव बाबा के स्वरुप पर अपना ध्यान एकाग्र करें।
राजयोग के ज्ञान के आगे blackmagic , अन्धविश्वास आदि बहुत निम्नस्तरीय बातें हैं ।अगर आप राजयोग के पथ पर चल रहे हैं तो आप इनसे प्रभावित नहीं हो सकते|
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5. शुभचिंतन और पवित्र भोजन
शिवभगवानुवाच- यदि तुम अच्छा-अच्छा सोचोगे तो अगर तुम्हारे साथ कुछ बुरा भी होने वाला होगा तो वो भी अच्छे में तब्दील हो जाएगा ।तो हमें अच्छे संकल्प ही रचने चाहिए क्योंकि हमारे संकल्पों में क्रिएटिव एनर्जी है ।तो हम जैसे संकल्प रचेंगे वैसे ही जीवन क्रिएट होगा इसलिए ऐसे संकल्प रचें जिससे जीवन में सफलता की छाप लग जाए ।भविष्य की गुड विज़न बनाएं| कुछ क्रिएटिव विचार – मेरा गुड टाइम शुरू हो चुका है , मेरे साथ सब कुछ अच्छा ही होगा, सफलता मेरे कदम चूमेगी।
इस जन्म में किसी विशेष भय का कारण हो सकता है कि उसी वजह से पूर्व जन्मों में हमारी मृत्यु हुई हो। उसके लिए गुड vibrations का उपयोग करें जैसेकि महसूस करें शिवबाबा मेरे साथ है , उनसे बातें करें ।स्वमान का अभ्यास करें – मैं आत्मा मास्टर सर्वशाक्तिवान हूँ , विघ्न विनाशक हूँ ।कुछ विशेष Intuitions होने पर यही अभ्यास ५ मिनट एकाग्र होकर करें।
योगी जीवन का एक महत्वपूर्ण स्तम्भहै पवित्र भोजन।ये भगवानुवाच है कि प्याज़ , लहसून मनुष्य में वासनाओं को उत्तेजित करते हैं, यह । तमोप्रधान भोजन है।क्योंकि राजयोग का आधार है ही पवित्रता इसलिए योगी जीवन में इनका सेवन पूर्णतः वर्जित है ।
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6. दृष्टिकोण को बदलना एवं कामजीत बनना
हम अगर अपने दृष्टिकोण को बदल लें तो सारा संसार ही बदल जायेगा।दूसरों के अवगुण देखने से ख़ुशी तो नष्ट होती ही है और भारीपन भी महसूस होता है ।अगर हमारी दृष्टि कटुता वाली है तो दुसरे भी हमारी ओर कटुता से ही देखेंगे और जब इंसान में खुद बुराई होती है तभी उसे दूसरों में भी बुराई नज़र आती है ।तो हमें सभी को आत्मिक दृष्टि से देखना चाहिए और यही संकल्प करना चाहिए कि सभी भगवान के बच्चे हैं इसलिए उनमें खूबियां भी अवश्य ही होंगी और उन्हीं की तरफ हमारा ध्यान जाए।
जब हम राजयोग के द्वारा किसी विघ्न व परिस्थिति को दूर करने का अभ्यास करते हैं तो भी मन में संपूर्ण विश्वास के साथ करें , ज़रा भी संशय न हो की विघ्न दूर होगा के नहीं आदि। भगवानुवाच- निश्चयबुद्धि विजयन्ति , संशयबुद्धि विनश्यन्ति।
कोई आत्मा अगर बुरी दृष्टि से देखने में डरे भी तो भी यह उसके निर्मल चरित्र की पहचान है क्योंकि क्रिमिनल दृष्टि से देखना एक पापकर्म है| भगवानुवाच- कामजीत बनने से तुम जगतजीत बन जायेंगे |नोट- राजयोग के मार्ग में काम वासना का दमन नहीं होता बल्कि उसे नष्ट कर दिया जाता है और इस मार्ग में एनर्जी को block नहीं अपितु सही दिशा में channelize करा जाता है | योग के अभ्यास से आत्मा में purity की फीलिंग्स इमर्ज होने लगती हैं |
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7. स्वयं में विल पॉवर भरना और अपने जीवन को दर्पण बनाना
मनुष्य में विल पॉवर की कमी का कारण उसके नेगेटिव विचार हैं ।इन्हीं नेगेटिव विचारों के कारण उसका शक्तिशाली मन निर्बल हो गया है ।अलबेलेपन और आलस्य का भी यही कारण है।शरीर में स्फूर्ति न होने का कारण है कि मन सुस्त है ।अतः विल पॉवर को मन में पुनः जागृत करने के लिए प्रतिदिन एक पावरफुल थॉट अपने पास लिखें ,जैसेकि – मुझ आत्मा ने कल्प-कल्प माया पर जीत प्राप्त करी है , मैं सर्वशक्तिवान की संतान हूँ तो मुझे इन परिस्थितियों से घबराने की क्या आवश्यकता है और उसे दिनभर स्मृति में लाते रहे।अपने मन की तार को सर्वशक्तिवान के साथ जोड़ने से विल पॉवर में वृद्धि होगी।
भगवान इस धरती पर आकर स्वयं मनुष्यों को भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बना रहा है। तो अपने देश और विश्व को बचाने के लिए अपने अंदर spiritual power बढाएं , पवित्रता का मार्ग अपनाएं | ऐसे कार्य करें कि हर व्यक्ति आपके जीवन से प्रेरणा ले।अपने विचारों को श्रेष्ठ बना लेंगे तो सभी का कल्याण कर सकते हैं।
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8. ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारियों के जीवन में हल्केपन का कारण
इस संगमयुग में स्वयं परमात्मा अवतरित होकर राजयोग की विद्या दे रहे हैं।अब तो हर व्यक्ति को यह बात महसूस कर लेनी चाहिए कि किसी भी जगह , किसी भी समस्या में वह अकेला नहीं बल्कि स्वयं भगवान उसके साथ हैं ।परमात्मा भी अपनी हर संतान की मदद करने में बेहद तत्पर हैं इसलिए संपूर्ण ईश्वरीय ज्ञान लेकर हम उनके प्रति समर्पण भाव से हर कार्य करें ।उन्हें भी अपने परिवार का हिस्सा मान लें , यूँ कहें उन्हें अपने परिवार का मुखिया माँ लें ।उसे हमसे कुछ नहीं चाहिए , वे तो बस हमारे प्यार और भावनाओं को देखता है। हम उनकी आज्ञाओं पर चलकर , पुण्यकर्मों के द्वारा उनका दिल जीत सकते हैं ।सत्यता , रहमदिली , पवित्रता , दया को अपने जीवन में धारण कर सकते हैं ।उनके बेहद कार्य में अपनी सहयोग की उंगली दे सकते हैं । फिर वो भी हमारी समस्या को अपनी समस्या समझने लगते हैं और हमें सहज ही उनसे पार लगा देते हैं।
परमपिता ने जो हमें ड्रामा का ज्ञान दिया है , उसे प्रयोग कर हर ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी ने अपने जीवन को बिल्कुल हल्का कर दिया है।उन सभी ने परमात्मा को अपना मान लिया है और परमात्मा ने भी उन्हें अपना मान लिया है ।उनके जीवन में हरपल ख़ुशी और सुख की अनुभूति कराने वाला है।
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bahut badhiya explain kiye hain swaman. main 2 mahine ka bk hu. ye swaman main roz practice karunga. dhanyawad!
ReplyDeleteॐ शान्ति
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