कुछ जीवनोपयोगी समाधान भाग ➡ 02
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राजयोग मेडिटेशन कोर्स :: कुछ जीवनोपयोगी समाधान
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भाग ➡ 02
आपने आनलाइन रहकर परमात्मा द्वारा उद्घाटित ज्ञान और राजयोग की जो शिक्षा पाई, हम उसी आधार पर कुछ जीवनोपयोगी जानकारी दे रहे, तो प्रस्तुत है आज दूसरा भाग. ...................
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एकाग्रचित्त कैसे बने ?
किसी भी कार्य व्यवहार में एकाग्रता की बहूत महत्वपूर्ण भूमिका है, चाहे वह योग हो या education हो। अकसर यह समस्या कई बच्चों को आती है कि जब वे पढने बैठते हैं तो उनका चित्त एकाग्र नहीं हो पाता और इधर उधर भटकने लगता है ।फ़ालतू चीज़ों की ओर जाने लगता है।इस समस्या को दूर करने के लिए सवेरे उठकर अपने को समझाएं की मेरा ध्यान मेरी पढाई या मेरे कार्य पर ही रहेगा ,आसपास व्यर्थ पर नहीं जाएगा।अवचेतन मन subconscious mind को यह संकल्प भी दें कि मैं आत्मा एकाग्रचित्त हूँ बुद्धिमान हूँ , चरित्रवान हूँ।
योग में एकाग्रता न होने का कारण है छोटी- मोटी गलतियाँ करना ,पापकर्मों का बोझ।योग में एकाग्रता बढाने के लिए दिनभर में छोटी-छोटी ड्रिल्स करते रहें और धीरे- धीरे उनके अवधि को भी बढ़ाते जाएँ।पाँच स्वरूपों का अभ्यास करें यथा:– परमधाम में आत्मा यानी अनादि स्वरुप , सतयुग में देवता यानी आदि स्वरुप , पूज्य स्वरुप , वर्तमान संगमयुग में ब्राह्मण स्वरुप और सूक्ष्मवतन में फ़रिश्ते का स्वरुप। बापदादा का आहवान करें और ये संकल्प करें की उन्होनें अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख दिया है।यह याद रखें कि हर एक आत्मा की योग की स्थिति अपनी-अपनी होती है। किसी का योग संगठन में अच्छा लगता है तो किसी का एकांत में , किसी को बैठकर योग में एकाग्रता बनती तो किसी को चलते फिरते।इन अभ्यासों के द्वारा चित्त शांत और मन आनंदित हो जाता है जिससे एकाग्रता में मदद मिलती है।
चमत्कारी मंत्र –" मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ", "मैं एक महान आत्मा हूँ।"
स्वयं भगवान के द्वारा दिए गए इन स्वमानों के अभ्यास से आपका जीवन संपूर्ण रीति बदल सकता है ।सवेरे उठते ही 108 बार स्वमान लिख लें कि मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ और सोने से पहले लिख लें मैं एक महान आत्मा हूँ। इनके बारे में संपूर्ण ज्ञान भी अवश्य प्राप्त कर लें कि परमात्मा स्वयं सर्वशक्तिमान है और हमें उसने अपनी सारी शक्तियाँ प्रदान कर दी हैं इसलिए मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान बन गयी हूँ।क्योंकि मैं स्वयं भगवान की संतान हूँ , इसलिए मैं एक महान आत्मा हूँ।इनका sincerely और acceptance के साथ अभ्यास करें।
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पति–पत्नी माना एक-दूसरे के सहयोगी
एक सफल पति-पत्नी की जोड़ी वही है जिसमें एक-दूसरे के बीच समझ और सहयोग की भावना हो।एक पक्ष कोई उपयोगी कार्य करे तो दूसरा पक्ष उसका सहयोग दे।आपस में मोह न हो , expectations कम हों।
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परिवार में प्यार का आधार है अपनेपन की भावना।परिवार में नई बहू आए तो उसके प्रति यही संकल्प करें कि हमें तो इसे अपने परिवार में समाना है, इस घर की एक और मालिक आई है , कितने समय से हम इस आत्मा का आहवान कर रहे थे।उसे इतना प्रेम दें कि वह सोचे- मुझे तो नए माँ-बाप मिल गए।अपने पुराने घर को तो भूल ही जाए।
आप अगर नए परिवार में आई हैं और कुछ परिवर्तन चाहती हैं तो अपनी सहनशक्ति और spiritual power को बढाएं।याद रखें हमारे vibrations दूसरों को बदल सकते हैं।सुबह जल्दी उठकर परिवार के सदस्यों को योग के द्वारा good vibrations दें, उनके प्रति good thoughts emerge करें।शुभ संकल्प करें कि सब कुछ अच्छा ही होगा। इससे उनकी power of realization तेज़ी से काम करने लगेगी।
पति -पत्नी का सम्बन्ध बहुत गहरा होता है परन्तु आज इस कलियुग के प्रभाव में ये बहुत नाज़ुक सम्बन्ध बन गया है।इसका मूल कारण है ego clash ।अतः समझदार व्यक्ति वही है जो पहले झुके , अपनी गलती स्वीकार करे ,नम्रतापूर्ण व्यवहार करे। लड़ाई से अधिक झुकाव पर महत्व दे।दूसरे की भावना को ठेस न पहुंचाए । Confusion , debates से बचे। सहयोग शक्ति को बढाये। राजयोग के अभ्यास से आत्मा में उदारता के गुण , boldness के गुण आने लगते हैं। फिर मनुष्य छोटी-मोटी बातों को neglect करने लगता है , वह संबंधों को अधिक महत्व देने लगता है।उसे आत्मा के ज्ञान से अच्छी दृष्टि प्राप्त हो जाती है।
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नींद की समस्या से पाये मुक्ति
आज नींद न आने की समस्या से कई आत्माएं परेशान हैं ।इसका कारण है पूर्व के विकर्मों का खाता जो unconscious mind में बहुत गहराई से छप गया है।रात को सोते वक्त subconscious mind के साथ unconscious mind भी activate हो जाता है और मस्तिष्क को hyperactive बना देता है।मनोविकार, पापकर्म , दूसरों के प्रति बुरी भावनाएं , अंदर में समाया हुआ क्रोध ही अनिद्रा के कारण बन जाते हैं।
राजयोग से अनिद्रा का उपचार- सवेरे उठते ही 108 बार लिखें कि मैंआत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ।सोने से पहले इस स्वमान का अभ्यास करें – मैं एक महान आत्मा हूँ ।और फिर संकल्प करें मैं बहुत गहरी नींद में सोने वाली हूँ।इससे subconscious mind को गहरी नींद में सोने का command मिल जाएगा।यह visualization करें कि मुझ आत्मा से किरणें निकल brain में समा रही हैं।जिससे वो relax होता जा रहा है। इसे soul consciousness का अभ्यास कहा जाता है।अपने मन में अपने प्रति श्रेष्ठ संकल्पों का निर्माण करें – जैसेकि मैं एक ज्योतिबिंदु हूँ , मुझमें असीम शक्ति है।परमात्मा के बारे में चिंतन करें कि वो तो ब्रह्मलोक निवासी है , मेरे पिता हैं ।वे ज्ञान के सागर हैं , प्रेम के सागर हैं , शक्तियों के सागर हैं। दुखहर्ता हैं , मुक्तिदाता हैं , सदाशिव हैं।परमात्मा हमारी माँ भी है ।सोते समय संकल्प करें हमारी माँ ( बापदादा ) नीचे आ गयी है | उसकी गोद में सर रख कर सो जाएँ।
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स्वचिन्तन और स्वपरिवर्तन से अन्य आत्माओं में परिवर्तन
कोई पारिवारिक मतभेद के चलते या किसी अन्य कारण से आप दूसरों से परेशान हैं तो सबसे पहले अपने मन से उनके प्रति negativity को हटायें। यदि आप की वे इज्ज़त न करते हों तो भगवान के इन महावाक्यों को याद रखें कि अगर तुम अपने श्रेष्ठ स्वमान में रहेंगे तो सम्मान परछाईं की तरह तुम्हारे पीछे-पीछे आएगा।स्वमान- मैं भगवान की सन्तान एक महान आत्मा हूँ , मास्टर ऑलमाइटी हूँ ।ये( परिवार के सदस्य ) भी महान आत्माएं हैं , मुझे बहुत प्यार करते हैं। उनके प्रति आत्मिक दृष्टि बना लें।एकांत मैं बैठ इस विषय पर विचार करें कि अगर वो गलत कर रहे हैं तो मुझे गलत नहीं करना है।Separation के विचारों को postpone करें और उसके बाद आने वाली कठिनाइयों को भी ध्यान में रखें।
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Spiritual Power के अनुभव
जहाँ संसार की हर शक्ति असफल हो जाती है , कुछ भी काम नहीं करता वहाँ भी समस्याएँ spiritual power के द्वारा ठीक की जा सकती हैं , जरुरत है तो मन के विश्वास की। किसी भी समस्या में अपने मन को अशांत न होने दें।विभिन्न युक्तियों द्वारा , सकारात्मक विचारों के द्वारा उसे शांत कर लें।जैसे सोचें कि जो बीज बोया है उसे काटना तो अवश्य पड़ेगा अथवा चाहे जो भी हो मुझे इस समस्या को योग के ज़रिये समाप्त कर ही देना है।अपनी समस्या प्रभु अर्पण करने पर हल्केपन और साक्षीभाव में सहज स्थित रहेंगे।
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शरीर को रोगमुक्त रखने के लिए spiritual power के प्रयोग की विधि :–
एक घंटा समय निश्चित कर 21दिन या 3 मास के लिए शक्तिशाली योगाभ्यास करें।समय निश्चित करने से ब्रेन दिन के उस समय में एक्टिव स्टेज पर आ जाता है। भोजन और पानी को भी charge करें।ब्रेन को हाथों के द्वारा शक्ति प्रदान करना- इस अभ्यास को दिन में दो बार 10-10 मिनट करें।रात को सोने से पहले अच्छे संकल्प करके सोयें।विचारों की deep cleansing करें , क्योंकि खराब संकल्प ही body के cells को ज़हरीला बनाते हैं।प्रकृति को धन्यवाद दें , उसके प्रति नेगेटिव विचार न रखें।
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काम विकार से मुक्ति
सार- अगर दृढ़तापूर्वक संकल्प किया जाए कि मुझे काम वासना के अधीन नहीं होना है , मैंने तो प्रभु मार्ग अपना लिया है , अपने परमपिता की शरण में आ गया हूँ तो इससे बहार निकला जा सकता है।युवाकाल बहुत महत्त्वपूर्ण है , इस समय का सदुपयोग कर युवा अपने जीवन की रूप रेखा को बदल सकते हैं।वासनाओं के कारण ही आज मनुष्य चिङचिङा, depressed हो गया है।उसकी एकाग्रता नष्ट हो गयी है , वे असफलता की ओर ही बङ रहा है।यह बात याद रखें कि अगर माँ – बाप बहुत vicious हैं तो अवश्य ही उनके बच्चों में भी वैसे ही गलत hormones होंगे।
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कुछ सहज उपाय :–
सुबह अमृतवेले के समय उठ प्रकृति में घूमें , श्रेष्ठ एवं सुंदर संकल्पों द्वारा मन को आनंदित करें जैसे कि वाह ! ऐसे समय में जब सब सोये हुए हैं और परमात्म प्यार बरस रहा है और मैं उसका आनंद ले रहा हूँ। एकाग्रता के लिए खींच-तान न करें , concentration पर ध्यान न देकर meditation पर ध्यान दें।संकल्प करें मैं आत्मा हूँ , यह देह अलग है।मैं आत्मा शिव बाबा का बच्चा हूँ , शुद्ध हूँ। अच्छे चिंतन के द्वारा बुरे चिंतन को समाप्त कर दें।कच्चे भोजन पर अधिक ध्यान दें क्योंकि वेह कर्मेन्द्रियों को शांत कर देता है। पवित्र और कम मसालों वाला भोजन ही ग्रहण करें।पांच स्वरूपों के अभ्यास से , स्वमान के अभ्यास द्वारा पास्ट की सभी स्मृतियाँ erase होने लगेंगी।अशुद्धि और शुद्धि का clash नहीं होगा।संगदोष से बचें , रोज़ ईश्वरीय महावाक्य सुनने सेवाकेंद्र पर अवश्य जायें।वहाँ पर सेवा का कार्य कर अपने पुण्य के खाते को जमा करें।
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अपनी तकदीर की तस्वीर को बदल देना
सदा अपने श्रेष्ठ भाग्य के चिंतन में रहें।स्वमान का अभ्यास करें जैसेकि मैं आत्मा बहूत भाग्यवान हूँ , भगवान मुझे मिला है , सफलता मेरे आगे पीछे घूमेगी।अपने भविष्य से ना डरें।सवेरे उठ बाबा को good morning करके संकल्प करें - मेरा गुड टाइम शुरू हो गया है , मैं आत्मा समय की मालिक हूँ , मैं आत्मा प्रकृति की मालिक हूँ।
सुबह और शाम दोनों ही समय ज्वालामुखी योग का अभ्यास करें। सारा दिन इसी स्मृति में रहें की सर्वशाक्तिवान का वरदानी हाथ मेरे सिर पर है। योग के 1 घंटे को 4 भागों में बाँट भी सकते हैं – 15 मिनट गीत सुनें, 15 मिनट के लिए पांच स्वरुप का अभ्यास करें फिर बाबा से बातचीत करें और आखिरी भाग में रूहानी ड्रिल का अभ्यास करें।
परिवार में बच्चों के मनमुटाव या झगड़े आदि से घबराएं नहीं। इनका कारण युवावस्था में hormonal imbalance हो सकता है या कोई पास्ट कर्म।उन्हें पवित्र भोजन दें।सवेरे जल्दी उठ उन्हें योगदान कुछ अच्छे संकल्पों के साथ अवश्य दें जैसेकि तुम तो गुड friends हो आदि। स्वमान में स्थित हो उन्हें प्रेमपूर्वक परस्पर बात करने का आग्रह करें।
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परमपिता की ओर अपने प्यार को divert करें
भगवान ने हमें इस सृष्टि पर enjoy करने के लिए भेजा है, तो हमें हर बात को ऐसा सुंदर स्वरुप दे देना चाहिए जिससे मन आनंदित हो , खुश हो। अपने attitude को बदलना चाहिए , innocent attitude अपनाना चाहिए।जैसेकि – यह संसार एक सुंदर नाटक है , यहाँ सबके अपने-अपने पार्ट निश्चित हैं।हमें इस विशाल नाटक को देख enjoy करना चाहिए।
किसी समस्या के आने पर स्वयं को परेशान , tense , चिडचिडा , निराश न करें क्योंकि इससे एक नेगेटिव वातावरण बन जाता है और परिस्थितियाँ और भी भयंकर रूप लेने लगती हैं।
यदि आप विवाहित हैं और अपने जीवन में कुछ बदलाव की उम्मीद करते हैं तो सबसे पहले अपनी ego को चेक करें और उसे down करें।adjust करने का प्रयास करें। अपनी समस्या को सच्चे दिल से प्रभु अर्पण कर दें। इससे आप उनकी सहायता के पात्र बन जायेंगे।सवेरे उठते ही यह संकल्प करें मैं आत्मा मास्टर सर्वाशक्तिवान हूँ , विघ्न – विनाशक हूँ।वो सर्वशक्तिवान है ,उसने मुझे विघ्नों को नष्ट करने की शक्ति प्रदान की है। विघ्न विनाशक भट्टी करें।divorce से व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है और समाज भी इसे सहज स्वीकृति प्रदान नहीं करता है।
हमें कदापि ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए कि लोग हमारा उदहारण देकर गलत कार्यों की ओर अग्रसर हों। मनुष्यों से प्रेम का खींचाव कम करने हेतु अपना प्यार परमात्मा की ओर मोड़ लें ।आत्मिक दृष्टि की practice करें। स्वमान के अभ्यास से सुंदर विचारों का बीज बोयें।अभ्यास करें-मैं आत्मा हूँ , इस देह से अलग हूँ ।याद रखें प्रेम निर्मल और पवित्र है , इसमें वासनाओं का कोई स्थान नहीं।
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ॐ शांति
Om santi
ReplyDeletePavitra vichar
Bahot hi achha h
Om shanti
ReplyDeleteWhat is correct: Sarv Shaktiman or Shakiwan? Pls reply
ReplyDeleteShaktiwan is correct
DeleteThe above word is Shaktiman or Shaktiwan?
ReplyDeleteॐ शांति
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