Day 2 D
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2nd day class
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आज दूसरा अध्याय में आपको हार्दिक स्वागत है।
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आशा करते है आपको अपना असली परिचय मिल गया।आप एक आत्मा हो।आपका original quality है आप....
ज्ञान स्वरुप हो
पवित्र स्वरुप हो
प्यार स्वरुप हो
शांत स्वरुप हो
सुख स्वरुप हो
आनन्द स्वरुप हो
शक्ति स्वरुप हो।
ज़रा सोचिये कितना शक्ति का आधार है हम आत्मा के अन्दर।और हम यह सब के लिए बाहरी दुनिया में धुनते रहते है।
क्योंकि हम आत्मा पुनर्जन्म लेते लेते शक्ति का भंडार खाली हो चुके है।
अभी समय है फिर से वह खोया हुआ शक्ति को भरना ।लेकिन वो शक्ति मिलेगा कहा से??
क्यों ? है ना हम सब की पिता सर्वो शक्तिमान परमात्मा। जो सर्वो शक्ति का भण्डार है।
उसका असली परिचय न जानने का कारण हम उसे ठीक से याद भी नही कर पाते।
किसी का परिचय जानने के लिए 5 बाते जानना बहुत जरुरी है।वह है उसका.....
1. नाम
2.स्वरुप
3.गुण
4.निवासस्थान और
5.कर्तव्य
इस 5 बाते क्लियर होना माना उसका परिचय सम्पूर्ण हो हुआ।
कहते है न खुद को जानो गे तो खुदा को भी जान जाओगे।
खुदको तो हमने जान लिया हम शरीर नहीं हम एक आत्मा है।
चलो हम अभी जानते है परमात्मा के बारेमे
परमात्मा का नाम
परमात्मा को लोग कोई नामो से पुकारते है।
हिन्दू लीग कहते है 'जोतिर्लिंगम',
मुस्लिम लोग कहते है' नूर, यह-अल्लाह,
क्रिस्चियन कहते है
यहोवा जिसका मतलब है point of light.
हम उसे प्यारसे शिव बाबा कहते है
परमात्मा का स्वरुप
आत्मा का स्वरुप ज्योति स्वरुप है तो उसका पिता भी ज्योति स्वरूप ही होगा ना?
इसलिए मृत्यु के बाद कुछ दिनों तक घर में ज्योति जलाया जाता है ताकि उस आत्मा को परमात्मा का रौशनी मिले।
प्राय:सभी धर्मो के लोग परमात्मा को निराकार अर्थात अशरीरी मानते हैं। शिवलिंग ज्योति-बिन्दु परमात्मा की ही यादगार भारत के कोने-कोने में तथा भिन्न-भिन्न देशों में पाई जाती है।
परमात्मा का गुण
परमात्मा का नाम गुणवाचक है।चारो दिशा में पूजा होता है।जैसे अमरनाथ,विश्वनाथ,सोमनाथ,पशुपतिनाथ, रामेश्वराम आदि आदि।इस सभी नमो में उनका गुण समाया हुवा है।
परमात्मा सर्वो की सद्गति दाता, शांति दाता,दिव्यबुद्धि विदाता। शान्ति के सागर,आनन्द के सागर, दया सागर ,ज्ञान सागर है।
परमात्मा का कर्तव्य
इस कलियुगी तथा पतित को पावन बनाकर सतोयुग रचना सिर्फ परमात्मा ही कर सकता है।
शिव परमात्मा के तिन दिव्या कर्त्यव्य के बारेमे हम बादमे थोडा विश्लेषण करेंगे।
परमात्मा का निवास स्थान
उनका निवास स्थान है परमधाम
अब सर्वो आत्माओ का पिता एक है यह कैसे साबित करे?
प्राय लोग यह नारा लगाते है की "हिन्दू,मुसलिम,सिख,ईसाई सभी आपस में भाई-भाई है", परंतु वे सभी आपस में भाई भाई कैसे है और यदि वे भाई -भाई है तो उन सभी का एक पिता कौन है--इसे वे नहीं जानते। देह की दृष्टी से तो वे सभी भाई-भाई हो नहीं सकते क्योंकि उनके माता -पिता अलग -अलग है; आत्मिक दृष्टि से ही वे सभी एक परमपिता परमात्मा का संतान होने के नाते से भाई-भाई है। यहा सभी आत्माओ के एक परमपिता का परिचय दिया गया है।
इस पिक्चर को देखे..
अनेक मत रहते ,कोई भाषाए होते हुए सबकी भावना एक है की, भगवान एक है। रामेष्वरम् में राम शिव की पूजा करते दिखाई है माना राम देवता,शिव परमात्मा,
मक्का में मुसलिम लोग लिंग के आकर को संग-ए-असवद की प्रतिमा के रूप में आराधना करते है।
क्राईस्ट लोग भगवान प्रकाश के चमक कहके मोमबत्ती जलाते है।
इसका मतलब सर्व धर्म आत्माएं भगवान निराकार है,इस विषय को मान रहे है।
राम, कृष्णा पुज्ज्य देवता है। क्राईष्ठ ,इब्राहिम गुरुनानक आदि धर्मपिता थे, इन सबको परमपिता शिव परमात्मा ज्योतिर्बिंदु स्वरुप है।
देवतायें अनेक होते है परन्तु सबके पिता भगवान एक ही है।
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