Day 3 D
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3rd day class
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ओम् शान्ति
आज की क्लास में हार्दिक स्वागत है आपका
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जैसे की कल मैंने कहा था परमात्मा का निवास स्थान के बारेमे थोडा सा विश्लेषण करेंगे।अगर हमें यह क्लियर न हो परमात्मा और आत्मा का असली घर कहा है तब तो उससे यद् करना भी मुश्किल ही जायेगा
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परमात्मा परमधाम निवासी है
ऊपर पिक्चर को ध्यान से देखिये यह तिन धाम तथा तिन धाम दिखाया गया है...
सबसे निचे है..
साकार लोक
भूमि , सुर्य ,तारागण समूह को साकार लोक कहलाते है। इस लोक पाँच तत्वो से निर्मित किया गया है। इसे मनुष्य लोक, कर्मक्षेत्र भी कहते है।
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सुक्ष्म लोक
इस मनुष्य -लोक के सूर्य तथा तारागण के पर तथा आकाश तत्व के भी पर एक सूक्ष्म लोक है जहां प्रकाश ही प्रकाश है। यह संगम युग में शिव भगवान के दिव्य शक्ति के द्वारा प्रकाश के प्रदेश का निर्माण किया गया है।यहा अव्यक्त ब्रह्मा की आत्मा सूक्ष्म शारीर में रहते है।
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परमधाम
सूक्ष्म वतन से ऊपर साइंस के साधन भी जहाँ दूर दूर तक पहुँच नहीं सकते उतना दूर है। इसमें सुनहरे -लाल रंग का प्रकाश फैला हुआ है जिसे ही ब्रह्मा तत्व,छठा तत्व,अथवा महातत्व कहा जा सकता है।इसे निर्वाण धाम,परलोक,मुक्तिधाम,शान्तिधाम, शिवलोक इत्तादि नमो से याद् किया जाता है।
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आज और एक चैप्टर पर छोटासा प्रकाश डालते है...वह है....
परमपिता परमात्मा और उनकी दिव्य कर्त्तत्व
परमात्मा शिव ज्योतिर्बिंदु स्वरुप है इसलिए बे बह्रह्मा, विष्णु,शंकर तीनो सूक्ष्म देवताओं के माध्यम से स्थापना ,पलना,विनाश इन तिन दिव्य कर्त्तव्य को कराते है। इसलिए शिवलिंग के ऊपर तिन लकीरों के बिच छोटा बिंदु लगते है।
शिव परमात्मा 1936 दादा लेखराज के नाम के एक बूढ़े शारीर में प्रवेश करके इस ज्ञान का प्रबोध किया। उनको ही प्रजापिता बह्रह्मा के चित्र में दिखाया गया।
वास्तब में ब्रह्मा माना तिन सिरधारी कमल असनधरि होक,हाथों में वेद शास्रों ,उन बूढ़े मानव रूप में दिखाया गया।
इसका अर्थ यह है की इस समय इस वृद्ध मानव द्वारा परमात्मा शिव तिन लोक ,तिन कल के ज्ञान को ,वेद शास्र के सार को बतलाया।
इस विधि से ब्रह्मा द्वारा स्थापना
आने वाले स्वर्ग में विष्णु की पलना होती है। ब्रह्मा माना कोई आध्यात्मिक रहष्य जैसे ऊपर बतलाया गया
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वैसे विष्णु माना लक्ष्मी नारायण के संयुक्त रूप है।
आनेवाले स्व्वर्ग में लक्ष्मी नारायण कि पालना होती है इसलिए विष्णु द्वारा पलना कहा जाता है।
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कहा जाता है शंकर ने जब तीसरी आँख खोली दुनिया विनाश होती है।
स्वर्ग आना है तो इस नरक को विनाश होना है, इसलिए भारत देश में प्राकृतिक आपदाएं ,गृह युद्ध द्वारा और विदेशों में प्राकृतिक युद्ध द्वारा विनाश होता है। इस विधि से इन तीनों द्वारा तिन कर्त्यव्य कराने वाले निराकार शिव परमात्मा है तो इसलिए उनको त्रिमूर्ति कहा जाता है
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